चमेली मोगरा जुही (जाती) Jasminum Grandiflorum

ये पौधे समस्त भारत में बागबगीचों में लगाए जाते है। चमेली का विश्व विख्यात सुगंधित तेल इससे तैयार किया जाता है। चमेली का प्रसारन कलम या दाब विधि से किया जाता है।

प्रयोग :

  1. चमेली की जड उबटन में मिलाकर या अकेले लगाने से व्रण सुधरता है।
  2. दात के दर्द में व दातों की जडे कमजोर होने में चमेली के पत्ते चबाने से आराम मिलता है।
  3. कान के दर्द या पीप पडने पर इसके पत्तें से सिदध तेल कानों में डालने पर शीघ्र आराम मिलता है।
  4. नेत्र रोगों में पुष्पों का लेप और स्वरस डालने से लाभ मिलता है।

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