इन दोनों समान गुण वाले पौधों की पत्तियां मेध्य होने से स्मृति वर्धक (बुद्धि वर्धनार्थ) के रूप में अत्यत उपयोगी सिद्ध हुए है। यह प्रसरी (फैलने वाला) कोमल, सरस, ग्रंथि युक्त पौधा है जो जमीन में फैल जाता है। आद्र एवं जलासन्न भूमि इसकी बढोतरी के लिए उपयुक्त होते है।
स्मृति विकास के अलावा इसके अनेकों अनुभूत प्रयोग है।
- शोध एवं वेदना युक्त रोगों एवं विष में इसका प्रलेप करते हैं।
- बच्चों के श्वास कास में इसका गरम लेप सीने पर किया जाता है।
- उन्माद, अपस्मार आदि मानसिक रोगों में इसका चूर्ण, रस, अवलेह आदि के रूप में प्रयोग लाभप्रद होता है।
साधारणतया प्रात: इसकी 3-4 पत्तियों का सेवन करने से सब लाभ प्राप्त हो जाते है।