यह एक बहुवर्षीय बड़ा झाड़ है जो सुन्दरता के लिये उधानों में लगाया जाता है। इसको बीज बोकर आसानी से उगाया जा सकता है। इसके पुष्पों में एक सुगनिधत तेल होता है। रंगीन पुष्प नलिका में निक्टेन्थीन नामक द्रव्य ग्लूकोसाइड के रूप में केशर में सिथत ए-क्रोसेटिव के सदृश होता है। पत्तों में टेनिक एसिड, मैथिल सिलसिलेट और ग्लूकोसाइड होता है ये द्रव्य औषधीय गुणों से भरपूर हैं।
अनुभूत प्रयोग :
- हार सिंगार के 3 से 7 नरम पत्तों को पीस कर थोड़े से अदरक के साथ लेने से पुराना ज्वर चला जाता है। पत्तों को रस शहद में मिलाकर पीलाने से जीर्ण ज्वर मिटता है।
- हल्की अगिन पर पारीजात के पत्तों का काढ़ा बनाकर पिलाने से किसी भी औषध से न मिटने वाली कुलंग वाय (ैबलजपबं च्ंपद) मिट जाता है।
- इसके फूलों का क्वाथ बनाकर पीने से गठिया नामक व्याधि का नाश होता है।
- इसके पत्तों के रस में मिश्री मिलाकर पिलाने से पित्त विकार मिटता है।
- इसके पत्तों के रस में नमक डालकर पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
- इसके पत्तों को पीसकर लेप करने से दाद, खाज आदि त्वचा विकारों में निशिचत लाभ होता है।
- इसकी कुछ कोपलों और 7 काली मिर्च पीसकर छानकर पिलाने से मासिक धर्म में अधिक रूचिर का आना बन्द हो जाता है।