यह झाड़ीदार क्षुप बीज अथवा कलम द्वारा लगाया जा सकता है। इसमें एक गंध युक्त उड़नशील तेल, वसा, एक तिक्त क्षाराम Vasicine, एक कार्बनिक अम्ल Adhatodic acid, शर्करा, गोंद, रंजक द्रव्य और लवण पाये जाते है जो पित्त व कफ शामक होते हैं।
अनुभूत प्रयोग :
- अडूसे और नीम के पत्तों को वफा कर वसित प्रदेश (पेडू के ऊपर) पर सेकने से एवं अडूसे के आधे तोले रस में उतना ही शहद मिलाकर पीने से गुर्दे के भयंकर दर्द में तुरन्त आराम मिलता है।
- इसके पत्तों को सुखाकर उनमें काले धतूरे के सूखे पत्तों को मिलाकर चूर्ण बनाकर उसकी बीड़ी (बिना तम्बाकु) बनाकर पीने से दमें की बिमारी में आश्चर्यजनक लाभ होता है।
घरेलु उपयोग विधि :
अडूसे के पत्तों, जड, फूलों का काढा बनाकर दिन में तीन बार पिने से खाँसी, ज्वर, मुँह से खून गिरना, खून की उल्टी होना आदि में शीघ्र आराम मिलता है।