शक्कर से कर्इ गूना मीठा शून्य कैलोरी पौधा
आज के समय मे मधुमेह व मोटापे की समस्या एक महामारी का रूप लेती जा रहीे है। इसके फलस्वरूप न्युन कैलोरी स्वीटनर्स हमारे भोजन के आवश्यक अंग बन चुके है। इन उत्पादों के पुर्णतया सुरक्षित न होने के कारण मधु तुलसी का प्राकृतिक स्त्रोत एक वरदान सबित हो रहा है। जो शक्कर से लगभग 25 से 30 गुना अधिक मीठा केलोरी रहित है व मधुमेह व उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए शक्कर के रूप मे पुर्णतया सुरक्षित है व सार्इड इफेक्टस से मुक्त है इसके पत्तों मे पाये जाने वाले प्रमूख घटक स्टीवियोसाइड, रीबाडदिसाइड व अन्य योगिकों में इन्सुलिन को बैलेन्स करने के गुण पाये जाते है। जिसके कारण इसे मधुमेह के लिए उपयोगी माना गया है। यह एन्टी वायरल व एंटी बैक्टीरियल भी है तथा दांतो तथा मसूड़ो की बीमारियों से भी मूकित दिलाता है। इसमे एन्टी एजिंग, एन्टी डैन्ड्रफ जैसे गुण पाये जाते है तथा यह नॉन फर्मेंतेबल होता है। 15 आवश्यक खनिजो (मिनरल्स) तथा विटामिन से युक्त यह पौधा विश्वभर मे व्यापक रूप से उपयोग में लिया जा रहा है।
स्टीविया बहुवर्षीय कोमल हर्ब है जो रेतीली दोमट भुमि मे जहाँ पर पानी की बहुतायत हो उगाया जा सकता है यह बीज, कटिंग अथवा पौध से लगाकर रेपित किया जा सकता है। क्योकि इसकी पत्तियां ही उपयोग मे आती है। फलों को तोड़कर फैंक दिया जाता है। सामान्यतया, फूल रोपन के 50 दिन पश्चात दिखार्इ देने लग जाते है। अत: इनकी तुड़ार्इ इससे पुर्व करते रहना चाहिए। बाद मे हर 3 माह में पत्तियों की कटार्इ 3” ऊ तक काँट कर करनी चाहिये।
घर में उपयोग लेने की विधि
पाँच पौधे छोट 5 व बडे 2 गमलों में आधी रेतीली मिट्टी व आधा खाद भर कर लगावें। शुरू में रोजाना व बाद में हर तीसरे दिन पानी देवें। लगभग 50 दिन में पत्तियाँ भर जायेगी। फूल आने से पहले पौधों को जमीन से 3” ऊँचार्इ से काट कर पत्तियों को ताजा काम में लें अथवा छाया में सुखा कर मिक्सी में पीस कर रख सकते है व आवश्यक्तानुसार चीनी के रूप में चूर्ण को काम में ले सकते है।