बहु उपयोगी मीठे नीम का छोटा वृक्ष (झाड़) बडे गमले में आसानी से उगाया जा सकता है। कढ़ी, दाल, सब्जी, पुलाव, नमकीन आदि भोज्य पदार्थो में इसके ताजे हरे पत्ते छोंक देते समय तप्त घी या तेल में डाल कर भून कर मिला लें तो सब्जी में सुगंध आने लगती है व आहार में अत्यधिक बीटा कैरोटीन, प्रोटीन, लोह, फासफोरस, विटामिन ‘सी आदि पोषक तत्व सहज ही प्राप्त हो जाते है।
प्रयोग :
- मूँग की दाल में मीठे नीम के पत्तों का छोंक लगाकर सेवन करने से अपानवायू दूर होती है, भूख खुलकर लगती है तथा भोजन शीघ्र पचता है।
- पेशाब में जलन होने पर इसके पत्तों व डन्डी को उबालकर व ठंडा करके पिलाने से आराम मिलता है। इसमें छोटी इलायची के दानों का चूर्ण मिलाना ज्यादा हितकारी है। इसे पीने से मूत्रावरोध दूर होकर मूत्र साफ आता है।
- वंशानुकूलजनित मधुमेह में प्रतिदिन दस पत्तियों को सुबह-सुबह चबाकर खाने से तीन महिने में ही लाभ मिल जाता है। मोटापाजनित मधुमेह भी ठीक होता है।
- इसकी पत्तियों को पीस कर छाछ या लस्सी के साथ लेने से बाल जड़ो से मजबूत व चमकीले बनकर स्वस्थ हो जाते हैं तथा केशो का झड़ना या गिरना रूक जाता है। इसकी पत्तियों को नारियल के तेल में जलाकर काली पडे तब तक उबालकर उस तेल को बालों में लगाने से बालों को ताकत मिलती है, बाल बढते हैं तथा बालों की चमक बरकरार रहती है।
मीठे नीम की पत्तियों में हर्बल टानिक के गुण पाये जाते हैं, ये शरीर की पाचन क्रिया को मजबूती देती है तथा शरीर को स्वस्थ रखने में सहायता प्रदान करती है अत: इसको हर घर में लगाना उपयुक्त है।