गुलाब Rosa damacena, Rosa Indica

सुन्दरता का यह पौधा प्राय: सभी घरों में गमलों अथवा जमीन पर लगाया हुआ दिखार्इ दिया जा सकता है। इसकी अनेको रंग बिरंगी देसी व कलमी किस्में सभी पौधशालाओं मेें बहुलता से उपलब्ध होती है। हम इसको केवल औषध के रूप में उपयुक्ता के आधार पर वर्णित कर रहे है। ये मुख्यतया चैतर्इ गुलाब जो साल भर में केवल चैत्र मास ही में फूल देते है; देसी गुलाबी गुलाब व साल भर बहुलता से फूल देने वाला गंगानगरी लाल गुलाब है।

सबसे उपयुक्त चेतर्इ गुलाब राजस्थान में बहुत थोडे क्षेत्र में हल्दीघाटी (खमनोर) में उगाया जाता है जिसका श्रीनाथ मंदिर नाथद्वारा में चैत्र मास में पहला भोग लगाया जाता है व इन फूलो से विश्वप्रसिद्ध गुलाब का तेल व इत्र, गुलाब जल, शरबत व गुलकन्द बनता है। उत्तर प्रदेश के कन्नोज, अलीगढ, गाजीपुर, बलिया आदि क्षेत्रों में व्यवसायिक स्तर पर खेती की जाती है।

औषधि के रूप में गुलाब जल को काजल, अंजन और आँखो के घावों आदि में उपयोग किया जाता है। तेल को अनेक अप्रिय स्वाद और गंधवाली वस्तुओं में मिलाकर प्रिय बनाया जाता है। इत्र को सुगंध उधोग में बहुतायत से उपयोग किया जाता है। गुलाब का शरबत गर्मियो में स्फूर्तिदायक पेय के रूप में व पंखुडियाँ आदि गुलकन्द व मिठाइयों में काम आती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <strike> <strong>