यह सदा हरित पीपल की तरह लेकिन छोटा वृक्ष बड़े गमले में लगाया जा सकता है। इसकी लक (छाल) और कान्ड सार में टेनिन 7 प्रतिशत एवं एक लाल रंजक द्रव्य होता है। बीजों से लाल रंग का गाढा तेल 20 प्रतिशत निकलता है।
अनुभूत प्रयोग :
- पारस पीपल के 2 या 3 बीजों को शक्कर के साथ देने से संग्रहणी, बवासीर, सुजाक और पेशाब की गर्मी में लाभ होता है।
- इसके पक्के फलों की राख में मिलाकर लगाने से और इसका काढा बनाकर पिलाने से दाद और खुजली में आराम मिलता है।
- इसके पत्तों को पीसकर गरम करके लेप करने से जोडों की सोजन और पित्तज शोध (सोजिश) में आराम मिलता है।
- इसके फूलों के रस का लेप करने से दाद मिटता है।
इसके पत्तों पर तेल चुपड़ कर गरम करके बांधने से नारू रोग द्वारा पैदा हुए छाले ओर घाव पर शीघ्र आराम मिलता है।