सफेद एवं लाल फूल वाली देसी कनेर ही औषध (विशेषकर विष औषध) के रूप में अधिक उपयोगी होती है। इसके झाड़ को जानवर नहीं खाते है इसलिये सड़क मार्ग पर शोभा हेतु बहुतायत से लगाया जाता है।
उपयोग :
- कनेर के पत्तों को कड़वे तेल में भूनकर शरीर पर मलने से खुजली शान्त हो जाती है।
- कनेर के पत्ते, गंधक, सरसों का तेल, मिêी का तेल इन सबका मरहम बनाकर लगाने से दाद कुछ ही दिनों में साफ हो जाते है।
- सफेद कनेर की पत्तिया छाया में सुखाकर महीन पीस लें। सिर में जिस भाग में दर्द हो उधर के नथूने में, उसमें से दो चावल के बराबर फूँक दे। इस क्रिया से नाक से खूब पानी गिरेगा और ढेर सारी छीकें आकर, आधासीसी में आराम हो जायेगा। माथे में बलगम या पानी रूक जाने से सिरदर्द होता है, उसमें भी इस क्रिया से लाभ होता है।
लाल कनेर के फूल और नाम मात्र की अफीम दोनो को मिलाकर, पानी के साथ पीसकर, गर्म करके मस्तक पर लेप करने से, कुछ ही देर में सिर का भयानक दर्द और सर्दी जुकाम ठीक हो जाते हैं।