यह पौधा सीधा, रोमश, चिपचिपा व तेज गंध वाला होता है जो बीज अथवा कटिंग से लगाया जाता है। जब पौधो में फूल निकलने लगते हैं तो फूल व पत्तियाँ तोड़कर 3-4 दिन सुखा कर इक्कठा कर लेते है। इसके बीजों में हायोसायमीन नामक नशीला उपक्षार व तेल पाया जाता है।
अनुभूत प्रयोग :
- गठिया, संधिवात (जोड़ों की सूजन), रक्तीपत्र आदि रोगों में इसका लेप करने से लाभ होता है।
- खुरासनी अजवायन को राल के साथ पीसकर दांतों के खड्डों में लगाने से दाँतों के कीड़ों का नाश होता है।
- प्रात:काल के समय थोड़ा गुड़ मिलाकर पानी के साथ इसकी फक्की देने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं।
- ज्वर में पाचन सुधारकर भूख बढ़ती है। मूत्र साफ होता है और दाह शान्त होता है। इसमें गुड़ के साथ प्रयोग करना चाहिये।
- पित्तजनक वमन (उल्टी) होने पर नींबू के रस के साथ देने से लाभ होता है।
- यह सुन्दरता का पौधा भी है।